लेखनी कहानी -20-Sep-2022 भाग १ मां बाप का दिल
मां-बाप का दिल
चाहे हो तपती जमीन और चाहे हो जलता आसमान,
अपने बालक की चिंता में भूल जाते खुद खान पान।
मात पिता ही ऐसे जग में जिनका होता है अहं स्थान,
निस्वार्थ प्यार करते बालक को समझते सदा नादान।
बालक के पैदा होने पर चहुं दिशि खुशियां करें उफान,
घर परिवार नाते रिश्तेदार देखे सब आया नन्हा मेहमान।
मां का दिल बड़ा सुकोमल देख किलकारी भरी मुस्कान, बालक का दुख देख सके ना हो जाती पल में परेशान ।
बच्चा गर रोया मां भी रोए देव करे दुख का अनुमान,
पर पिता नारियल जैसा होवै अश्रु नहीं लाने की आन।
दिल अंदर उनका भी कोमल ऊपर लगते तीर कमान ,
अपनी संपत्ति की खातिर तो कुर्बान करते हैं जी प्रान।
जेठ की तपती दुपहरी घनी पूस की ठंडी रात का भान,
डिगा नहीं कोई सकता जब रखना हो परिवार का ध्यान।
पिता मात के रूप में रहते संग साथ धरा पर भगवान, करती 'अलका' करुण पुकार मात पिता का करो सम्मान।
अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@सर्वाधिकार सुरक्षित।
Pratikhya Priyadarshini
22-Sep-2022 12:07 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Abhinav ji
21-Sep-2022 08:06 AM
Very nice👍
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आँचल सोनी 'हिया'
21-Sep-2022 12:28 AM
Achha likha hai 💐
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